Saturday 18 November 2017

प्रोडक्शन के चरण #मीडिया प्रोडक्शन

प्रोडक्शन के चरण #मीडिया प्रोडक्शन

(Post Production#Media Production)

 

जब किसी कार्यक्रम की परिकल्पना बननी शुरू होती है, तो उससे लेकर उसे मूर्तरूप में प्रस्तुत करने तक  प्रोडक्शन की प्रक्रिया तीन चरणों से होकर गुजरती है । प्री-प्रडक्शन, प्रोडक्शन, पोस्ट-प्रोडक्शन । प्रोडक्शन के बारे में कहा जाता है कि वह 99योजना 1क्रियान्वयन होता है ।

प्रोडक्शन के तीन चरण होते हैं-

ž प्री-प्रोडक्शन

ž प्रोडक्शन

ž पोस्ट-प्रोडक्शन

1. प्री-प्रोडक्शन-

किसी भी कार्यक्रम का निर्माण करने से पहले,उस कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार की जाती है ।

§ कार्यक्रम का स्वरूप

§ कार्यक्रम की अवधि

§ प्रयोग होने वाले उपकरण

§ टीम का निर्धारण

§ बजट का निर्धाण

§ स्क्रिप्ट

2. प्रोडक्शन

किसी भी कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार होने के बाद रिकॉर्डिंग के दौरान की सारी प्रक्रिया प्रोडक्शन के दायरे में आती है ।

 शूटिंग इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें पटकथा के अनुरूप दृश्यों को विभिन्न कैमरों की सहायता से फिल्माने का कार्य होता है ।

3. पोस्ट-प्रोडक्शन-

जहाँ हम अपने कार्यक्रम को अन्तिम रूप प्रदान करते हैं उसे पोस्ट-प्रोडक्शन कहते हैं । अर्थात् जहाँ से प्रोडक्शन कार्य समाप्त होता है और प्रसारित करने योग्य बनाने तक का सारा कार्य पोस्ट-प्रोडक्शन के अन्तर्गत आता है ।

संपादन

किसी भी प्रोग्राम को रिकॉर्ड करते हैं तो उसमें विभिन्न तरह की त्रुटियाँ होती हैं । इन्हीं त्रुटियों को सुधारने के लिये संपादन कार्य किया जाता है । इसके अंतर्गत निम्निलिखित कार्य होते हैं

Ø     साउन्ड -

जब हम कोई भी कार्यक्रम बनाते हैंतो उस कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिएउसकी प्रकृति के आधार पर विभिन्न प्रकार के साउन्ड अथवा म्यूज़िक भी डालते हैं ।

जैसे- चिड़ियों की आवाजझरने की आवाज

Ø     स्पेशल ऑडियो इफेक्ट-

जैसे- शीशा टूटने की आवाजआवाज का गूंजना,दरवाजा खोलते समय जो आवाज आती हैइत्यादि।

Ø     ट्रांजिशन (परिवर्तन करना)-

आवाज में फेरबदल करने के लिए तरह-तरह के ट्रांजिशन होते हैं ।

जैसे- Amplify, Auto Duck, Change Pitch, Change Speed, Change Tempo. इत्यादि।

Ø     ऑडियो फाइल फॉर्मेट-

सब कुछ करने के बाद हम अपनी आवश्यकता अनुसार प्रोग्राम को जिस फॉर्मेट चाहें उस फॉर्मेट में कन्वर्ट करके रख सकते हैं । जैसे-mp3, AAC, wma, wave, AIF, MPC. इत्यादि।

Ø     स्टोर करना-

सब कार्य करने के बाद प्रोग्राम को जिस स्टोरेज डिवाइस में चाहते हैंउसमें स्टोर करके प्रसारित करते हैं अथवा रख लेते हैं ।

निष्कर्ष-

किसी भी कथा/पटकथा को काल्पनिकता की दुनिया से निकालकर परदे पर साकार करने के लिए तथा रिकॉर्ड किए गए रॉ फुटेज को एक संपूर्ण कार्यक्रम में ढालकर उसे प्रसारित करने योग्य बनाने में प्रोडक्शन के तीनों चरणों का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है । इन तीनों चरणों के निष्पादन के लिए के लिए विशेषज्ञों की एक पूरी टीम होती है जिनके माध्यम से पूरा कार्य संचालित होता है ।

 

संदर्भ-

टेलीविजन प्रोडक्शन, डॉ.देवव्रत सिंह

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