Sunday 7 July 2013

पारिवारिक कॉमेडी का एडल्ट वर्जन !

                                   


यूँ तो एक लम्बे समय से हर मनोरंजन चैनलों ने अपने मेनू में आईटम सौंग की तरह एक कॉमेडी शो का जुगाड़ कर रखा है जहाँ बड़े मजाकिया अंदाज़ में मानवीय रिश्तों की "माँ-बहन" की जाती रही है, यानि कई अबतक तो सिर्फ माँ और बहन जैसे रिश्तों को फूहड़ता से कलंकित किया जाता था, पर इन्ही कार्यक्रमों के पदचिन्हों पर शुरू हुआ कलर्स का नया शो "कॉमेडी नाइट्स विद कपिल"इन सब से दो कदम आगे निकलता दिख रहा है।
चाहे वो फूहड़ता के स्तर से हो या फिर चाहे बिना सिर-पैर के बेहूदा पंच हो,हर मामले में यह सब कॉमेडी शोज पे भारी पड़ रहा है।
माँ-बहन की बेईज्जती से आगे बढ़ते हुए इसमें अब दादी-बुआ-पत्नी जैसे भावनात्मक संबंधों का भी तमाशा बनाकर रख दिया गया है,जहाँ एक दादी कहती कि 'इस उम्र में भी मुझमे बहुत आग है ' वहीँ इस शो में एक बुआ अपने भतीजे से कहती है कि 'तू अपने दोस्त से मेरी सेटिंग क्यों नहीं करा देता'?
क्या अब इन चैनलों को कॉमेडी के नाम पर सिर्फ इस तरह के सी ग्रेड डायलौग्स ही दिखाने को मिल रहे हैं? या फिर इस देश में अच्छे स्क्रिप्ट राइटरों का अकाल पड़ गया है? ये तो भगवान ही जाने......पर हाँ इससे बॉलीवुड के फिल्म स्टारों को अपने फिल्म के प्रमोशन करने का एक अच्छा अड्डा जरुर मिल गया है।
अब ऐसे घिनौनी कॉमेडी पर हँसे या फिर इसे बनाने वाले की मानसिकता पर रोयें,समझ नहीं आता..........
vkmail93@blogspot.com

'गरीबी' से सुरक्षा कब मिलेगी ?




और आख़िरकार राष्ट्रपति मंजूरी मिलने के साथ ही देश में खाद्य सुरक्षा विधेयक के पारित होने का रास्ता साफ़ हो गया। कुछ लोग इसे कांग्रेस का सियासी का चुनावी दांव बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे गरीबों के लिए वरदान बता रहे हैं,पर यहाँ पर सवाल ये उठता है कि देश की एक तिहाई आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने हेतु सरकारी खजाने पे जो अतिरिक्त बोझ पड़ेगा उसकी भरपाई भी तो इस देश की ही बाकि जनता को करनी पड़ेगी,चाहे वो टैक्स बढाकर की जाये या फिर महंगाई बढाकर..भुगतना तो इस निर्दोष जनता को ही है। इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि देश का बड़ा वर्ग इस योजना से लाभान्वित होगा,पर यह तभी संभव हो पायेगा जब यह अनाज सच में भूखे सो रहे लोगों तक पहुंचेगा।
अपने देश की भ्रष्ट हो चुकी राजनीति में 'कौन लोग गरीब हैं' इसका चयन भी मन-मर्जी से किया जाता है,इसका उदहारण हम फर्जी बी पी एल कार्ड धारकों के खुलासे के रूप में देख चुके हैं,इसलिए जरुरी है की इस योजना का लाभ उन्ही को मिले जिन्हें वाकई में इसकी जरुरत है यानि जो जो सच में दिनभर की कमरतोड़ मेहनत के बाद भी अपने परिवार को दो वक़्त की रोटी नहीं दे पाते।
अब देखना ये है कि इस योजना से कितना  लाभ देश के भूखे-गरीबों को मिलेगा और कितना लाभ एक के बाद एक घोटालों से घिरी सरकार को,ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा........

Tuesday 2 July 2013

राहत पर राजनीति

एक तरफ उत्तराखंड में त्रासदी झेल रहे लोगों के लिए पूरे देश भर से मदद के हाथ उठ रहे है,हर कोई अपनी शक्ति अनुसार सहायता में लगा है,,,,पर ऐसे दुखद और त्रासदीपूर्ण मौके पर भी हमारे देश के  भविष्य निर्माण करने का दावा करने वाले नेतागण गन्दी राजनीति करने और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने से बाज नहीं आ रहे हैं।
क्या ऐसे समय में इनका ये रवैया शोभनीय है?
बचाव व राहत कार्यों का श्रेय लेने के लिए ये मारामारी करने तक को उतारू हो गये हैं । हद तो तब हो जाती है जब ये राहत सामग्री के थैलों में अपनी पार्टी का प्रचार पत्र डालकर भेज रहे हैं ।
कितने शर्म की बात है कि इन नेताओं को पीड़ित लोगों की मदद से पहले अपना वोट बैंक याद आता है ।
सच में अब इस देश का, देश की राजनीति का, साथ ही साथ यहाँ के निवासियों का भविष्य खतरे में नज़र आ रहा है। 
कई नेताओं और उनकी पार्टियों ने इस आपदा में तबाह हुए केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की घोषणा तो कर दी,पर इस प्रलय ने जिन लोगों का सबकुछ उनसे छीन लिया,उन्हें बेसहारा करके सड़कों पर ला दिया,जो लोग आज दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं,उनकी याद किसी भी राजनीतिक पार्टी को नहीं आ रही।
अरे जब भगवान को पूजने वाला इंसान खुद दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होगा फिर उसका विश्वास अपने भगवान से भी उठ जायेगा।
अगर इतनी ही फिक्र है उन लोगों की तो बस उनके भूखे पेट में एक रोटी देने की कोशिश करो,,,,,इससे ज्यादा उम्मीद आपलोगों से करना आम जनता के लिए बेमानी है।




vkmail93@blogspot.com