Tuesday 30 April 2013

'मैंगो पीपल' के 'आम' से सपने !

कल रात मेरे कमरे के सामने वाले सरदार जी को सपरिवार "आम " का लुत्फ़ उठाते देखकर खुद के "आम आदमी" होने का एहसास हुआ ,,,,!
क्यूंकि अपने लिए तो  "आमं" सिजनली फ्रूट है जिसके दर्शन साल में कुछ दिनों के लिए ही होते हैं।
वैसे  सरदार  जी जैसी 'ख़ास फैमिली' के लिए तो हमारी महान कंपनियों ने "हर मौसम आम" का जुगाड़ भी कर रखा है।
पर हम जैसे 'आम आदमी'  तो इसका इंतज़ार "सालाना बजट"  की तरह करते हैं।
'सोने सी चमक','अमीरी की गर्मी' से पके इन "आमों" की पहुँच आजकल लोकल मार्केट के साथ-साथ बड़े-बड़े आलीशान 'मॉल्स ' तक है।
'मालदह' हो या 'चौसा',या फिर 'दशहरी' या 'लंगड़ा'.....इन सभी 'फेमस ब्रांड्स' क दर्शन सिर्फ 'खासमखास' लोगों को ही नसीब होते हैं।
खैर,मुझ जैसे जितने भी "मैंगो पीपल्स" हैं ,उन्हें टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं,,,,,हमारे लिए तो सब्र का फल "आम" ही होता है।
भले ही देर आए,पर "आम" आएगा जरुर,,,,,;)

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