भारत में मीडिया समितियां/आयोग (FOR #UGC-NET , #,NTA-NET)
· 1952- प्रथम प्रेस आयोग- जी.एस. राज्याध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित प्रथम
प्रेस आयोग ने प्रेस के लिए आचार संहिता, आरएनआई के
स्थापना, पत्रकारों के वेतन व सेवाशर्तों का
निर्धारण, अखबारों का पृष्ठ और मूल्य अनुसूची की
सिफारिश की।
· 1961 – सान्याल समिति – न्यायालय की अवमानना से संबंधित कानूनों का अध्ययन किया ।
· 1964- चंदा समिति- ए.के. चंदा समिति ने रेडियो और टीवी को सरकारी नियंत्रण से
मुक्त करने, आकाशवाणी व दूरदर्शन को अलग-अलग करने व
स्वायत्त बनाने की सिफारिश की।
· 1965- भगवंतम समिति- टीवी के तकनीकी विकास के लिए। समिति ने टीवी के लिए
स्वायत्त निगम बनाने और रेडियो टीवी के घनिष्ठ संबंध को बनाए रखने की सिफारिश की।
· 1966, 4 जुलाई - प्रथम प्रेस परिषद का गठन, अध्यक्ष- जे. आर. मुधोलकर (16 नवंबर से
कामकाज शुरू कर दिया । इसी कारण 16 नवंबर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' मनाया जाता है )
· 1977, मार्च – कुलदीप
नैयर समिति- समाचार समितियों का अध्ययन करने के लिए गठन किया गया
· 1977, अगस्त 17 - वर्गीज समिति -1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद सरकार द्वारा आपातकाल में प्रेस
की भूमिका पर श्वेत पत्र लाया गया। सरकार ने प्रसारण माध्यमों की स्वायत्ता के लिए
इस समिति का गठन किया। समिति ने आकाशभारती ट्रस्ट बनाने की सिफारिश की। 1997 में इसी तर्ज पर आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए स्वायत्त निगम प्रसार
भारती बनाया।
· 1978- दूसरा प्रेस आयोग - आपातकाल के बाद जनता पार्टी सरकार ने जस्टिस पी.सी
गोस्वामी की अध्यक्षता में आयोग ने काम शुरू किया लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार बनने के बाद आयोग ने इस्तीफा दे दिया और फिर
से इसका पुनर्गठन किया गया। इस बार जस्टिस के.के. मैथ्यू को इसका अध्यक्ष बनाया
गया।
· 1978, 29 मई - द्वितीय प्रेस परिषद का गठन
· 1979- कारंथ समिति - जनता पार्टी सरकार ने सिनेमा उद्योग के लिए नीति बनाने
के लिए गठित किया। समिति ने सिनेमा को राज्य सूची से बाहर कर संघ या समवर्ती
सूची में रखने, सिनेकर्मियों की सेवाशर्तों का
निर्धारण करने और सेंसरबोर्ड के फैसलों के खिलाफ अपील के लिए स्टैंडिंग ट्रिब्यूनल
बनाने की सिफारिश की।
· 1982
- जोशी समिति - दूरदर्शन के सॉफ्टवेयर निर्माण की लिए पीसी
जोशी की अध्यक्षता में टास्कफोर्स बनी। समिति ने दूरदर्शन के कार्यक्रमों की
गुणवत्ता में सुधार के साथ, रेलवे बोर्ड की तर्ज पर
सूचना व प्रसारण मंत्रालय पुनर्गठित करने का सुझाव दिया।
· 1990- प्रसार भारती कानून
· 1991- वर्धन समिति- इस समिति का गठन भारत में विदेशी चैनलों के दुष्प्रभावों
का अध्ययन करने के लिए हुआ था .
· 1995 सुप्रीम कोर्ट का फैसला - जस्टिस पी.बी. सावंत, एस. मोहन और बी.पी. जीवनरेड्डी की पीठ ने ध्वनि तरंगों को जनता की
संपत्ति बताया।
· 1995- राम विलास पासवान समिति- (104 पन्नों की
अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय मीडिया नीति पर आम राय की बात कही)
· 1996- नीतिश सेनगुप्ता समिति - (सुप्रीमकोर्ट के फैसले की समीक्षा के लिए
गठन। समिति ने भारतीय रेडियो और टेलीविजन प्राधिकरण बनाने, टीवी सेटों पर टैक्स और रेडियो स्टेशन के लिए लाइसेंस लगाने की सिफारिश
की।
· 1997- प्रसारण विधेयक (क्रॉस मीडिया ओनरशिप, लाइसेंसिंग, विदेशी निवेश का अंश, निजी चैनलों के लिए
अपलिंकिंग जैसे मसलों पर विचार के लिए गठन)
· 2003- अमित मित्रा समिति - रेडियो
प्रसारण में निजी भागीदारी की समीक्षा के लिए गठन। एफ.एम रेडियो क्षेत्र में नई
लाइसेंस प्रणाली और आय में सरकार की 4 फीसद की
हिस्सेदारी की सिफारिश की।)
· 2007- प्रसारण नियामक विधेयक (आचार संहिता और विज्ञापन संहिता के गठन का
सुझाव )
#साभार
भारत
में जनसंचार तथा
https://jannetwadiparty.wordpress.com/2012/12/21/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%A1%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%BF/
अत्यंत लाभदायक विकास जी
ReplyDeleteजी शुक्रिया । ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को एक मंच पर लाने की कोशिश जारी रहेगी ।
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