जनसंपर्क शोध
जनसंपर्क : एक परिचय
जनसंपर्क का अर्थ
है लक्षित जनता से लक्षित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संपर्क स्थापित करना । जनसंपर्क संचार की एक प्रक्रिया है, जिसमें जनता से संचार स्थापित किया जाता है । विभिन्न विद्वानों ने इसे
निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है -
ब्रिटिश इंस्टीट्यूट
ऑफ पब्लिक रिलेशन्स के अनुसार –
“जनसंपर्क
जनता और संगठन के बीच सोच-समझकर,योजनाबद्ध तरीके से निरंतर
किया जाने वाला प्रयास है।”
जे.एल. मेकेनी (J.L. Macany) के अनुसार ‘‘प्रशासन
में जन-सम्पर्क, अधिकारी वर्ग तथा नागरिकों के मध्य
पाये जाने वाले प्रधान एवं गौण सम्बन्धों द्वारा स्थापित प्रभावों एवं दृष्टिकोणों
की पारस्परिक क्रियाओं का मिश्रण है। यह मानते हैं कि ‘‘ जनसंपर्क प्रशासन के उस कार्य का एक भाग है जिसके अन्तर्गत वह इस बात का
पता लगाता है कि उसके संगठन तथा कार्यक्रम के बारे में लोग क्या सोचते हैं?’’
जॉन डी. मिलेट (John D. Millett) के अनुसार, ‘‘ जनसंपर्क इस बात की जानकारी प्राप्त करता है कि लोग क्या आशा करते है तथा
इस बात का स्पष्टीकरण देता है कि प्रशासन उन मांगों को कैसे पूरा कर रहा है?’’
एच.एल. चाइल्ड्स (H.L. Childs) ने जनसंपर्क को परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘‘विभिन्न जन-समूहों के मत को प्रभावित करने के लिए एक संगठन जो भी कार्य
करता है वह सब जन सम्पर्क है।
जनसंपर्क का
प्रारंभिक स्वरूप-
संत-महात्माओं, राजाओं द्वारा प्रवचन, स्तूपों, शिलालेखों के माध्यम से जनसंपर्क का कार्य प्राचीन समय से ही प्रारंभ हो
चुका था ।
मुगल काल के ‘वाकयानवीस’ के द्वारा
जनसंपर्क का कार्य काराया जाता था ।
1914-18 के दौरान सेंट्रल पब्लिसिटी बोर्ड की स्थापना ।
1921 में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनफॉर्मेशन की स्थापना जिसे 1931 में डायरेक्ट्रेट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग कर दिया गया ।
1955 में IPRA (International Public Relations
Association ) का गठन .
1958 पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की स्थापना .
1958 में ही भारत में सर्वप्रथम टाटा (TATA) ने
जनसंपर्क की संकल्पना को अपनाया .
आई वी ली को आधुनिक
जनसंपर्क का पिता माना जाता है .
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जनसंपर्क शोध-
द्विपक्षीय
प्रक्रिया के कारण जनसंपर्क विज्ञापन से महत्वपूर्ण है । उद्भव काल से वर्तमान तक राजनीतिक संचार तथा जनमत निर्माण में सक्रिय भूमिका
निभा रहा है । सरकारी -गैर
सरकारी क्षेत्रों में इसकी जरूरत तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय चुनावों में बढ़ते
प्रयोग की वजह से जनसंपर्क शोध अत्याधिक महत्वपूर्ण हो गया है । जनसंपर्क शोध के
अंतर्गत जनता तथा संगठन के संबंधों के विविध आयामों पर शोध किया जाता है.
जनसंपर्क शोध के उदाहरण-
Øओपिनियन
पोल
Øएक्जिट
पोल
Øमार्केट
रिपोर्ट्स
Øकॉरपोरेट
सोशल रिस्पॉंसबिलिटी
जनसंपर्क शोध के
प्रकार -
जनसंपर्क में शोध ( Research IN public Relations)
जनसंपर्क पर शोध ( Research ON public Relations)
जनसंपर्क के लिए
शोध ( Research FOR public Relations)
जनसंपर्क शोध के उद्देश्य-
ध्यान आकर्षित करना
(Brand Promotion)
विश्वास अर्जित
करना (Image Building)
समझ विकसित करना (Crisis Management)
जनमत तैयार करना
बदलती मनोवृत्ति का
अध्ययन
जनसंपर्क शोध के
बिंदु -
आंतरिक (Internal) शोध-
Institution
Employee
Management
Production
House Journal
Trade Unions
Labour
बाह्य (External) शोध-
Target Group
Media (Print,
Electronic etc..)
Consumer
Share Holders
Community
Distributor
Local Authority
Government
जनसंपर्क शोध के अंतर्गत होने वाले शोध-
मौलिक शोध
व्यावहारिक शोध
मात्रात्मक शोध
गुणात्मक शोध
मूल्यांकन शोध
जनसंपर्क शोध की
सहायक सामग्री-
Traditional media
Print media
Electronic media
New media
Libraries
Databases
Government
Documents and websites
Press Relies and
Conferences
संदर्भ ग्रंथ सूची-
मीडिया शोध, मनोज दयाल, हरियाणा साहित्य
अकादमी
आधुनिक विज्ञापन और
जनसंपर्क, डी. के. राव, नेहा पुस्तक केन्द्र, दिल्ली
Mass media
Research, Wimmer & Dominic
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